बेंगलुरू । श्री राम सेवा समिति के तत्वावधान में बेंगलूरु के सीरवी समाज के सहयोग से सुंकदकट्टे स्थित आई माता मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के आठवें दिन की कथा में पंडित पवन महाराज ने माता अनुसुया व सीता माता के तप की महिमा का बखान करते हुए कहा कि हमारे समाज में नारी की पूजा की जाती है। उन्होंने भक्त और भगवान की कथा सुनाते हुए शबरी दृष्टांत सुनाया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य परमात्मा की वास्तविक भक्ति की प्राप्ति है। वह भक्ति जो कि सुखों का वास्तविक मूल है। जिस सुख को पाने के लिए मनुष्य इधर-उधर भटक रहा है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में उल्लेख किया है कि भक्ति सुख का मूल है, भक्ति सुख की खान। अगर हम उस शास्वत भक्ति को प्राप्त कर लें तो जीवन में सुख अवश्य ही आएगा। उन्होंने कहा कि हमेशा के लिए आने वाले इस सुख को ही आध्यात्मिक भाषा में परम आनंद कहते हैं। माता शबरी को भगवान द्वारा शास्वत भक्ति का संदेश देने के वृतांत को सुनाते हुए कहा कि जीवन में यदि पूर्ण शास्वत भक्ति चाहते हो तो सबसे पहले संत महापुरुष की शरण में जाना ही पड़ेगा। सत्संग से ही मीरा, अर्जुन, धु्रव व प्रहलाद जैसी भक्ति का आगमन होता है।कथा में ब़डी संख्या में श्रद्धालु रामकथा श्रवण का लाभ ले रहे हैं।