बेंगलूरू। श्री राम सेवा समिति के तत्वावधान में बेंगलूरु के सीरवी समाज के सहयोग से सुंकदकट्टे स्थित आई माता मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के सातवें दिन की कथा में पंडित पवन महाराज ने केवट प्रसंग प्रस्तुत किया। पंडित पवन महाराज ने कथा सुनाते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम से मिलने के लिए जब अयोध्या से भरत चित्रकूट के लिए निकला था तो उसे पांच बाधाओं का सामना करना पड़ा। भरत ने कहा कि वह ठाकुर से मिलने के लिए पैदल जाएंगे किसी वाहन का प्रयोग नहीं करेंगे .कि इसी बीच जब भरत निकले तो उनके पीछे बाकी परिवार के सदस्य भी चले..वो भी पैदल।पंडित पवन महाराज कहते हैं कि तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि विश्वास का प्रारंभ होता है लेकिन अंत नहीं। किसी दूसरे को भी अंगुली उठाने से पहले मनुष्य को अपने अंतर भी झांकना चाहिए। आदमी को हमेशा सफलता नहीं मिलती..नाकामियों के साथ भी मनुष्य को जीना सिखना चाहिए। ढालपुर मैदान में पिछले पांच दिन से माहौल भक्तिमय है लेकिन शुक्रवार को मैदान बाकी दिनों की अपेक्षा अलग था। जिसमें भरत सत्ता छो़डकर सत्य की शरण में जाते हैं तथा भगवान श्रीरामजी की चरण पादुका लेकर १४ वर्ष मंत्री बनकर काम किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामकथा श्रवण का लाभ ले रहे हैं।