आई माताजी ने माधव को डोरे का भेद बताया और कहा कि जो इस डोरे को बंधेगा उसे किसी भी प्रकार की जीवन में कमी नहीं रहेगी धन और यश मिलेगा । इस डोरे के बिना अपने शरीर को अपवित्र समझें, यदि कभी यह टूट भी जाए तो पानी तक मत पीना और तुरंत दूसरा बांध देना । यही आई पंथ का पवित्र डोरा है इस डोरे का नाम बेल रखा । माताजी ने ग्यारह तार और 11 गांठ की इस बेल के ग्यारह नियम बताएं और हर इंसान को नियम अपने मन में अपने जीवन में धारण करने के लिए कहा।
प्रथम सूत्रझुट तजे सुख आवे
दूजा सूत्र तन पावन राखो , छोड़ो मांस नशा आज
तीसरा सूत्रदान – पुण्य अहिंसा, छोड़ो शोषण और ब्याज
चोथा सूत्र संस्कार चरित्र , छोड़ो जुआ व्यभिचार
षठा सूत्र निंदा मत करनासप्तम सूत्र सत्य न्याय ।
अष्टम सूत्रगो सेवा करना , धरम करे धन आय
नवमा सूत्रपर नारी माता , मन शुद्दि घट राम ।परणावो दूजो की भी कन्या , दस सूत्रहरि नाम ॥
ग्यारवा सूत्रक्षमा भाव तू रखना , सतपथ ग्यारह गाठ ।नारी गले मे दाई भुजा पुरुष के , बांधो हो जाए ठाठ ॥
अम्बा रुप है आई माता, कुल नी पालन हार ।पूजा – पाठ साचे मनसे करना , सुखीहोगा संसार ॥आई पंथी जती भगा बाबा बोले , करेंगे जग कल्याण ।खाली हाथ जाणों है एक दिन , मत करो अभिमान ॥
1. बेटी की धर्म पूर्वक शादी करना।2. नीति पर चलना जिस पर लक्ष्मी खूब आती है।3. गुरु की आज्ञाओं का पालन करना।4. पर नारी को माता समझना।5. अतिथि का सम्मान करना।6. किसी प्राणाी को यातना मत दो बल्कि जितना बन सके उतना दान दो।7. अहिंसा व प्रणियों की रक्षा करना।8. प्रभु का स्मरण करो।9. सभी धर्मो का सम्मान करना।10. झूठ मत बोलो व चोरी-झारी मत करो।11. समाज के मुख्य पुजारियों की अज्ञाओं का पालन करो।