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ग्रीन हाऊस बना कर खेती, सालाना 15 लाख रुपए का मुनाफा संभव

बिलाड़ा में चार हजार स्क्वायर मीटर में ग्रीन हाऊस बना रहा एक किसान, ऑफ सीजन में भी खेती कर ली जा सकेगी कोई भी पैदावार, सालाना 15 लाख रुपए का मुनाफा संभव

40 लाख की लागत से बने ग्रीन हाऊस में खीरा व शिमला मिर्च जैसी सब्जियों की करेंगे खेती, 10 फीसदी पानी का उपयोग 

बिलाड़ा क्षेत्र के प्रगतिशील किसान सीरवी सुरेश काग अपने खेत में 4 हजार स्क्वायर मीटर में ग्रीन हाऊस का निर्माण कर रहे हैं, जो अंतिम चरण में है।

इसकी लागत करीब 40 लाख रुपए है। इससे खेती करने पर किसान को एक साल में 20 लाख रुपए की आय होगी। इसमें पांच लाख रुपए का खर्चा होगा। यानी 15 लाख रुपए का लाभ किसान को प्रतिवर्ष होगा।

खेती के आधुनिकीकरण का बेहतरीन उदाहरण, सरकार से 50% अनुदान पर ले सकते हैं योजना का लाभ 

किसान सुरेश सीरवी ने बताया कि मैंने चार साल पहले जयपुर में एक किसान के यहां ग्रीन हाऊस देखा तब ही से मेरे मन में विचार आया की मुझे भी ऐसा करना है।

4 हजार स्क्वायर मीटर में ग्रीन हाऊस का निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है और अगले माह से इसमें खेती प्रारंभ कर दी जाएगी। कृषि पर्यवेक्षक रामरतन ने बताया कि सरकार द्वारा पचास प्रतिशत अनुदान इस योजना पर दिया जाता है।

किसान सुरेश बताते हैं कि ग्रीन हाऊस योजना का सबसे बड़ा लाभ ये है कि ऑफ सीजन में भी कोई भी पैदावार ली जा सकती है। ग्रीन हाऊस चारों तरफ से केमिकल युक्त परदे से कवर किया हुआ है। इसके अंदर बैड पर सब्जियों की खेती होगी।

केमिकल कवर करने से सब्जियों में कीड़े नहीं लगते। साथ ही अंदर गर्मी को रोककर अंदर का तापमान इच्छानुसार नियंत्रित किया जा सकता है। अंदर फव्वारे भी लगे होते हैं।

तापमान नियंत्रित होने के कारण ही किसी भी सीजन में कोई भी खेती की जा सकती है। इससे खेती करने पर सिंचाई के लिए दस प्रतिशत पानी की ही आवश्यकता होती है। इससे पानी की भी बचत होगी।

तापमान नियंत्रित कर करेंगे खीरा व शिमला मिर्च की खेती, जो पूरे क्षेत्र में नहीं होती

सुरेश ने बताया कि मैं ग्रीन हाऊस में खीरा ककड़ी व शिमला मिर्च की खेती करूंगा। क्योंकि क्षेत्र में खीरा व शिमला मिर्च की पैदावार नहीं होती है।

लेकिन ग्रीन हाऊस से तापमान इन सब्जियों की पैदावार के अनुसार नियंत्रित करके यहां पर खीरा व शिमला मिर्च की पैदावार की जाएगी।

साल में दो बार ही फसल बोऊंगा। इससे जमीन भी उपजाऊ बनी रहेगी। एक साल में न्यूनतम एक सौ टन खीरे की पैदावार होगी। इससे 20 लाख रुपए की आय होगी।

इसमें से 5 लाख रुपए खर्चे में लग जाते है। जबकि 15 लाख रुपए का मुनाफा होगा। उन्होंने बताया कि सौ टन से ज्यादा भी माल पैदा हो सकता है।