पानी की चमत्कृत घटना
किसानों ने जीजी से खाना – पानी लेने को आग्रह किया परन्तु जीजी ने उन्हें दोपहरी करने के पश्चात् जीजी के साथ वाले नंदिये (बौल) को नदी में पानी पिलाकर लाने को कहा ।
जीजी के बैल को पानी पिलाने मे उन लोगोने असमर्थता प्रकट की क्योकि उस सय वहां आस – पास कहीं भी पानी उपलब्ध नहीं था । वे किसान भी पानी के लिए बहुत अधिक परेशान थे । कहा जाता है कि पानी और पूत भाग्य के बिना नहीं मिलते परन्तु सन्त अथवा साधु पुरुष अथवा मातृशक्ति अपने भाविकों के लिए भाग्य भी बदल सकते है ।
जीजी ने मुस्कराकर कहा कि नदी में शुद्द पीने योग्य पानी उपलब्ध है । जब वे किसान बैल को लेकर उस स्थान पर गए तो वहां पानी की उपलब्धता देखी , वे जीजी के ईश्वरीय रुप की मन ही मन प्रशंसा करने लगे । नदी में पानी कहॉ से आया ? यह प्रशन विचारणीय था क्योंकि जेठ की तपती गर्मी में बिना वर्षा के सूखी नदी में अचानक पानी आना आश्चर्यजनक लगता है पर...