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राजनेतिक

श्री आईजी का जन्म
आईमाता जी की जीवनी, राजनेतिक

श्री आईजी का जन्म

पौराणिक साहित्य के अनुसार द्रौपदी, सीता, हनुमान आदि का जन्म भी कोख से नहीं हुआ बताया जाता है। किवदन्तियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्री आईजी का जन्म कोख से नहीं हुआ है। पौराणिक साहित्य के अनुसार द्रौपदी, सीता, हनुमान आदि का जन्म भी कोख से नहीं हुआ बताया जाता है। अतः यद्यपि वैज्ञानिकता के आधार पर ऐसा होना नामुमकिन है परन्तु कई बार प्रकृति की अलौकिकता में ऐसा होना संभव भी हो सकता है। प्राणियों में क्लोन की प्रक्रिया सफल होने योग्य नहीं है परन्तु विज्ञान की प्रकृति के चमत्कार की पराकाष्ठा तो है ही। कबीर तथा दादू जो कि भक्ति साहितय तथा आध्यात्मिकता के अवतार थे, भी फूलों में मिले थे। अलौकिकता के रंग में रंगे श्री आई जी बचपन से ही जीजी नाम से विख्यात होते गए। जीजी का सामान्य अर्थ बहिन है जिसे कोई भी व्यक्ति आदर तथा वात्सल्य से पुकार सकता था। जीजी को दैहिक ओज अत्यन्त आकर्षक तथा सुन्दर था। सं...
सीरवी समाज एक नजर में
इतिहास, राजनेतिक

सीरवी समाज एक नजर में

सीरवी समाज की उत्पत्ति लगभग 800 वर्ष पूर्व सीरवी एक जाति है जो आज से लगभग 800 वर्ष पुर्व से ही गोडवाड़ एवं मारवाड़ क्षेत्रों में रह रही है। कालान्तर में यह जाति राजस्थान के जोधपुर और पाली जिले में कम संख्या में पाई जाती थी । सिरवी समाज का इतिहास वर्तमान तो सदैव मनुष्य के नेत्रों के सम्मुख रहता ही है, जिसके सहारे वह भविश्य की भी कल्पनाऐ करता रहता है लेकिन जब उसे अतीत की ओर झांकना पड़ता है, तब उसे इतिहास नामक आश्रय की शरण में जाना पड़ता हैं। किसी भी जाति-धर्म, भाशा-सभ्यता, संस्कृति व देष के अतीत के उत्थान-पतन को हम इतिहास के आइने मे ही देख सकते है। बोली घटनाओं का सच्चा वृतान्त ही इतिहास है। सबसे ज्यादा 3 लाख मतदाता सीरवी समाज कौम में, व्यापार जगत में पूरे देश में नाम कमा रहा सीरवी समाज का युवा ।  सीरवी समाज मूल रूप से कृषक कौम है। वर्तमान में पूरे देश में अपने व्यापार की वजह से का...