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कासारवाड़ी में सीरवी क्षत्रीय समाज ने धूमधाम से मनाया होली महोत्सव
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कासारवाड़ी में सीरवी क्षत्रीय समाज ने धूमधाम से मनाया होली महोत्सव

कासारवाड़ी/आ.प्र./ हर त्यौहार को सामाजिक जिम्मेदारी से मनाने के संकल्प के कारण होली में भी प्राकृतिक रंगो के साथ रंग खेलने,पानी की बचत व स्वच्छ भारत का सुन्दर सन्देश देते हुए प्रतिवर्ष की तरह सीरवी क्षत्रीय समाज,कासारवाड़ी द्वारा होली महोत्सव बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया. यहाँ राजस्थानी गैर नृत्य को देखने पुणे व पिंपरी-चिंचवड़ शहरवासी कासारवाड़ी में शुक्रवार 2 मार्च की शाम को आईमाता मन्दिर के सामने वाले प्रांगण में जमा हुए थे। हर मेहमान का दूध की ठंडाई व मिठाई से स्वागत किया गया। राजस्थानी होली देखने अन्य लोगों की भीड़ थी। यहाँ केवल प्राकृतिक रंग (हर्बल कलर) का ही प्रयोग किया गया और पानी का प्रयोग न करते हुए पानी-बचत का सन्देश भी दिया गया। कार्यक्रम के पश्चात स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत समाज बन्धुओं ने सारा परिसर स्वच्छ कर स्वच्छता का भी सन्देश दिया। होली महोत्सव के आयोजन में सीरवी क्ष...
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सीरवी इंटरनेशनल स्कूल भाकरवास में आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में विज्ञान प्रदशिनी का आयोजन किया गया

जैतारण/भाकरवास/ सीरवी इंटरनेशनल स्कूल भाकरवास में आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में विज्ञान प्रदशिनी का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यार्थियों द्वारा अनेक विज्ञान आधारित , पर्यावरण आधारित, नयी तकनीक एवं भविष्य की ज़रूरतों पर आधारित मोडल व प्रोजेक्ट प्रदर्शित किए गए। यह आयोजन शिक्षा का वो उदाहरण है जिसमें एक तरफ़ अच्छे मार्क की होड़ लगी है तो दुसरी तरफ़ समय की ज़रूरत। यह आयोजन विद्यालय द्वारा इसलिए किया जाता है ताकि विद्यार्थी की शिक्षा प्रायोगिक ज्ञान आधारित हो न कि रटने की प्रवृति हो। इस आयोजन में ऐसे टोपिक का समावेश किया गया जो उनके वर्तमान शैक्षिक स्तर के समकक्ष हो तथा जिनसे इनका कौशल विकास अच्छे से हो। इसमें बच्चों के जितने भी मोडल्स या प्रोजेक्ट है वे सभी उनकी रुचि अनुसार उनके द्वारा बनाये गए। ये जानकारी MD स्कूल के लक्ष्मण जी द्वारा दी गई।सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम प...
अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस
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अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस

अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 21 फरवरी को हर साल मनाया जाता है। इस दिन का जश्न मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषा और सांस्कृतिक विविधता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है। यह पहली बार 17 नवंबर, 1 999 को यूनेस्को द्वारा घोषित किया गया था। तब से हर साल यह मनाया जाता है बंगाली और उर्दू भाषा के विवाद के कारण दिनांक 21 फरवरी, 1 9 52 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में चार युवा छात्र मारे गए थे। भाषाएं संस्कृति को बनाए रखने और विकसित करने और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण, अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है, जबकि यह बांग्लादेश में सार्वजनिक अवकाश होता है। 1 9 47 में पाकिस्तान के विभाजन के समय, प्रांत बंगाल को दो भागों में विभाजित किया गया: पश्चिमी भाग भारत बन गया और पूर्वी भाग को पूर्वी बंगाल कहा जाता है ज...
जीजी पाल कि स्थापना
आईमाता जी की जीवनी

जीजी पाल कि स्थापना

जीजी के रज कणो से बना टीला बाद में जीजी पाल के नाम से प्रसिद्द हुआ। जीजी बिलावास से गांव खारिया नींव होते हुए बिलाड़ा (बिलपुर) की दक्षिण की ओर आठ किलोमीटर दूर एक स्थान पर उनके बैल को भादवे महिने की ताजी घास में स्वेच्छा से चरता देखकर आराम करनें लगीं । उस स्थान पर पहले से ही सीरवीयों के कुछ लड़के पश नजदीक खींच लिया। लड़के जीजी के चारो ओर बैठकर जीजी की बातें सुनने एवं दर्शन का आन्नद उठाने लगे। अचानक उतर दिशा से काले कजरारे बादल आए और तीव्र गर्जना के साथ मूसलाधार बरसने  लगे । कुछ ही समय में वहां पानी हो गया । जीजी, लड़के और पशु वहां खड़े एक खेजड़ी के वृक्ष के निचे आ गए। चारों तरफ बाढ़ जैसी स्थिती होने के कारण खेजड़ी के नीचे भी पानी आने लगा। लड़के तथा घबराने लगे। जीजी ने उसके पांवो में पहनी मोजड़ियां उतारी और उनमे आए रज  कणो को उस स्थान पर डालते ही एक बड़ा टीला बन गया। लड़के व पशु वर्षा के जल मे...
सीरवी समाज हनुमंतनगर में आई पंथ के धर्मगुरु दिवान माधवसिंह धर्मसभा में शामिल हुए
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सीरवी समाज हनुमंतनगर में आई पंथ के धर्मगुरु दिवान माधवसिंह धर्मसभा में शामिल हुए

बेंगलुरु / आई पंथ के धर्मगुरु दिवान श्री माधव सिंह ने कहा कि परिवर्तन संसार का नियम हैं। जैसे-जैसे समय परिवर्तित होता है, उसी के अनुसार रीती-रिवाजों में भी बदलाव होता है। वे हनुमंतनगर में धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नियम परिवर्तन के जरिये सामाजिक कुरीतियों व अन्धविश्वास मिटाने की पहल की गई। आज भी सामाजिक आयोजनों में मादक पदार्थों के सेवन के लिए मनुहार किया जाता है, यह ठीक नहीं है। नशा मुक्ति एवं समाज सुधार अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गोपाराम चौधरी ने कहा कि पिछले 12 वर्षों से जारी अभियान से परिवर्तन आया है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इस मौके पर ताराराम नारायाणलाल गहलोत, थानाराम गहलोत, बिरमराम सोलंकी, प्रेम किशोर बर्फा, हेमंत कुमार, पुनाराम भायल आदि मौजूद रहे। प्रेषक :- सीरवी समाज डॉट कॉम मैसूरु के प्रतिनिधि *मनोहर सीरवी राठौड़* संपर्क 9964119041...
बिलावास मैं आगमन
आईमाता जी की जीवनी

बिलावास मैं आगमन

बिला जीजी  की ऐसी सेवा करने लगा मानो उसे उसकी वर्षो की तपस्या का फल मिल गया हो। जीजी सोजत से आगे सूकड़ी नदी के किनारे बिलावास पधारीं जहां बिला नामक एक ईश्वर भक्त सीरवी परिवारों के साथ ढ़ाणी बसाकर रह रहा था। जीजी को दिव्य रुप में देखकर बिला का उत्साही मन भाव विह्रल हो गया। उसने जीजी को दण्डवत्‌ प्रणाम कर उसकी ढ़ाणी को पवित्र करने का निवेन किया। बिला उसकी ईश्वर भक्त पत्नी तथा अन्य लोगो ने गद्‌गद हो जीजी की सेवा साधना की ।जीजी बिला और अन्य व्यक्तियो के भावो और उत्सुकता युक्त सेवा से अत्यधिक प्रसन्न हुए। जीजी ने बिला तथा अन्य लोगो के सुखमय जीवन जीने की कामना की और बिला की ढ़ाणी के फलने – फुलने का आर्शिवाद भी दिया। जीजी की मेहरबानी और दया से बिला की ढ़ाणी बिलावास बन गया। इस गांव के लगभग सभी लोग जीजी के अनुयायी बन गए। आई माताजी के बारे में और पढ़ें - click here ...
मालिन को ज्ञान
आईमाता जी की जीवनी

मालिन को ज्ञान

जीजी आगे बढ़ी । सेहवाज एवं बगड़ी नगर के बीच श्री आईजी को एक मालिन सब्जी का ओड़ा (बड़ी छाबड़ी) लेकर मिली जिसमे बथुआ, पालक, चन्द्रलोई आदि था। जीजी ने सारी सब्जी को एक सोने के टके में खरीदकर उनके नंदिये को खिला दिया । जीजी ने उस मालिन को सलाह भी दी कि तुम्हारी आज की मजदूरी हो गई है अत: घर जाकर ईश्वर ध्यान करना। लालची मालिन जीजी की सलाह को नहीं मानते हुए पुन: सब्जी का ओड़ा भरकर बेचती हुई संयोग से जीजी को पुन: रास्ते में मिल गई । जीजी ने उसे सवेरे वाली सलाह याद दिलाई और कहा कि जो मनुष्य भगवान लोभ को छोड़कर धन लोभ में लगा रहता है वह न तो माया प्राप्त कर सकता है और न ही राम । इसलिए कहा ‘ दुविधा में दोनो गये , गाय मिली न राम । ’ इस प्रकार जीजी का सन्देश वेदों, पुराणो, संत वाणियो, उपनिषदों आदि के गुढ़ार्थ के सरलीकृत रुप में निहित हैं । इस प्रकार तत्व चिन्तन कभी प्राचीन एवं समय से परे नहीं हो सकता । आई मा...
श्री आईमाताजी बडेर मन्दिर के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में मैसूरु के श्री आईजी गैर मण्डल का सम्मान
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श्री आईमाताजी बडेर मन्दिर के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में मैसूरु के श्री आईजी गैर मण्डल का सम्मान

बेंगलुरु / यहाँ के लिंगराजपुरम में श्री आईमाताजी बडेर मन्दिर के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में मैसूरु के श्री आईजी गैर मण्डल का सम्मान किया गया। उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम के दौरान आयोजित सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम में मण्डल के सदस्यों ने बेहतरीन गैर नृत्य प्रस्तुत किया व राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखलाई। नरेन्र्द राठौड़ ने बताया कि लिंगराजपुरम बडेर की तरफ से गैर मण्डल को कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए पांच हजार एक सौ रुपए नगद राशि एंव यादगार के रूप में एक मेंमेंटो प्रदान किया, जो कि गैर मण्डल के अध्यक्ष मोहनलाल सोलंकी ने प्राप्त किया। प्रेषक :- सीरवी समाज डॉट कॉम मैसूरु के प्रतिनिधि *मनोहर सीरवी राठौड़* संपर्क 9964119041...
भैसाणा गांव मैं आगमन
आईमाता जी की जीवनी

भैसाणा गांव मैं आगमन

अलौकिक जीजी डायलाणा से दूसरे दिन भैसाणा नामक गांव पहुंची । गांव के बाहर एक तालाब के किनारे एक ग्वाले ने जब इस साध्वी  महिला को भगवा पोशाक तथा बैल के साथ देखा तो कोई तांत्रिक जानकर जीजी को भला – बुरा कहने लगा अन्धविश्वासों के कारण गांवो में दुधारु पशुओं  को तथाकथित तांत्रिकों , जादूगरों तथा कर्मकाण्डयो से दूर रखने की कोशिश की जाती थी ताकि पशु बीमार नहीं पड़े व दूध निकालवाने में आनाकारी नहीं करें । जीजी ने ग्वाले के अपशब्दों तथा क्रोध पर कोई ध्यान नहीं दिया एवं मूर्ख तथा अज्ञानी मानकर आगे बढ़ने लगीं परन्तु क्रोधी ग्वालें के बेकाबूपन ने जीजी के बैल को पीटने की हिमाकत कर डाली और जीजी की ओर भी फेंकने के लिए इधर – उधर पत्थर ढ़ूंढ़ने लगा । उधर जीजी के शाप से भैंसें पत्थर बन चुकी थी । ग्वाले की नजर जब उसकी गासो – भैसो की तरफ गई तब उसके हाथ में उठाया हुआ पत्थर उसके हाथ से उसके पास ही गिर गया ...
जीजी बड़ नामकरण
आईमाता जी की जीवनी

जीजी बड़ नामकरण

थके- हारे किसानों की आंख लगने के पश्चात्‌ ह्ल की हाल का विशालकाय वट वृक्ष तथा जुए की सिवल का रोईण का वृक्ष बन गए । जब किसान नींद से जगे तो जीजी वहां नहीं थी । वट वृक्ष तथा रोईण के विशाल वृक्ष जीजी के उपकारों का संदेश दे रहे थे । किसानो ने उस वृक्ष को जीजी बड़ कहना शुरु कर जीजी के उपकारो को स्मरण करने लगे । चीन के दर्शन के अनुसार एक वृक्ष की महता सौ पुत्रो को जन्म देने तथा उन्हे बड़ा करने के समान मानी जाती है । इस प्रकार संत अथवा महान्‌ व्यक्ति जग कल्याण के लिए प्रकृति का रुप बदल सकते हैं परन्तु उनका रुप बदलना प्रकृति की व्यवस्था को और उन्नत तथा विकसित करना होता है । तुलसीदास को श्री राम का दर्शन आक को नियमित करना होता है । तुलसीदास को श्री राम का दर्शन आक को नियमित पानी पिलाने के फलस्वरुप ही हुआ था । जीजी के महात्म्य को बढ़ाने तथा आत्मिक शांति एवं संतोष प्राप्त करने के लिए उन सीरवी किसान भाईय...