बीकाजी डाबी का जन्म
संवत् 1440 के आस - पास डाबी सांवतसिंह के परिवार में एक करामाती पुरुष का जन्म हुआ
जिसका नाम बीका रखा गया बीका बचपन से ही मॉ अम्बा का परम् भक्त था । जब बीका की आयु विवाह योग्य योग्य हुई तो उसके माता- पिता ने सुयोग्य कन्या के साथ बीका का विवाह भी कर दिया। दोनो अम्बाजी के परम्भक्त थे ।
समय ने बीकाजी व उनकी पत्नी को चिंता में डाल दिया क्योंकी एक दशक बीतने के बाद भी उन्हें सन्तान सुख की प्राप्ति नहीं हुई । बीकाजी ने काफी चिन्तन ने काफी चिन्तन कर यह माना है शायद उनके प्रारब्ध कर्मों का फल है तथा प्रारम्ध कर्मों के फल से छुटकारा भक्ति , ईश्वर की दया तथा क्रियमाण कर्म की अच्छाइयों से ही हो सकता है अतः उन्होने अम्बाजी की भक्ति दिन रात चौगुनी करके की । संतान हीनता एक अभिशाप है ।
संतानहीन व्यक्ति अन्तर्मुखी होते है । समाज में आज भी सन्तानहीन मनुष्यों का महत्व अन्य व्यक्ति कम ही आं...