सीरवी समाज की उत्पत्ति लगभग 800 वर्ष पूर्व
सीरवी एक जाति है जो आज से लगभग 800 वर्ष पुर्व से ही गोडवाड़ एवं मारवाड़ क्षेत्रों में रह रही है। कालान्तर में यह जाति राजस्थान के जोधपुर और पाली जिले में कम संख्या में पाई जाती थी । सिरवी समाज का इतिहास वर्तमान तो सदैव मनुष्य के नेत्रों के सम्मुख रहता ही है, जिसके सहारे वह भविश्य की भी कल्पनाऐ करता रहता है लेकिन जब उसे अतीत की ओर झांकना पड़ता है, तब उसे इतिहास नामक आश्रय की शरण में जाना पड़ता हैं। किसी भी जाति-धर्म, भाशा-सभ्यता, संस्कृति व देष के अतीत के उत्थान-पतन को हम इतिहास के आइने मे ही देख सकते है। बोली घटनाओं का सच्चा वृतान्त ही इतिहास है।
सबसे ज्यादा 3 लाख मतदाता सीरवी समाज कौम में, व्यापार जगत में पूरे देश में नाम कमा रहा सीरवी समाज का युवा ।
सीरवी समाज मूल रूप से कृषक कौम है। वर्तमान में पूरे देश में अपने व्यापार की वजह से काफी संपन्न जाति के रूप में स्थापित हो गई है। जिले के कुल 6 विधानसभा क्षेत्र में इस जाति के 3 लाख के करीब मतदाता हैं, जो 1.20 लाख घरों में रहते हैं। सीरवी जाति की विशेषता यह है कि अधिकांश परिवारों ने अपने घर कृषि फार्म पर ही बना रखे हैं। इन परिवारों के मुखिया अपने पैतृक गांव में ही रहकर कृषि कार्यों को अंजाम देते हैं। शेष नई पीढ़ी देश के दक्षिणी भारत के लगभग सभी प्रांत, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रांतों में जाकर सोना, चांदी, गिरवी, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, रेडिमेड गारमेंट समेत अन्य व्यवसाय में जुटे हैं। पहले इस जाति में उच्च शिक्षा के प्रति रुझान कम ही था, मगर युवाओं की मुहिम ने अब लगभग सभी बेटे-बेटियों को उच्च शिक्षा की तरफ अग्रसर कर दिया है।
राजनीतिक ताकत ऐसी कि सीरवी समाज के सांसद, जिला प्रमुख से लेकर प्रधान
वर्तमान में लोकसभा, विधानसभा, पंचायतीराज, नगरीय निकायों, सहकारी संस्थाओं के चुनावों में सीरवी समाज के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सांसद, एक विधायक, दो प्रधान, दो नगरपालिका चेयरमैन इसी समाज से निर्वाचित हुए हैं। साथ ही सभी 6 विधानसभाओं में सीरवी वोट बैंक किसी भी दल की राजनीतिक हार-जीत भी तय करता है।
उद्देश्य सिर्फ यही टीवी पर जाने से युवा पीढ़ी को रोककर खेल के मैदान तक लाना और एकजुट रहना
सीरवी समाज की एकता बनाए रखने तथा युवा पीढ़ी को टीवी की तरफ जाने से रोकने के लिए जिले के सीरवी समाज बंधुओं ने विशाल स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है। ऐसे आयोजनों से अन्य युवाओं का भी खेल के प्रति रुझान बढ़ेगा। इससे सीरवी स्वस्थ समाज की परिकल्पना भी साकार होगी। पूरे प्रतियोगिता में सामाजिक समरसता का भाव दिख रहा है। प्रतियोगिता के लिए होने वाला खर्च भी समाज की तरफ से ही किया जा रहा है।
-अगराराम चौधरी, जिला खेल अधिकारी, पाली