पौराणिक साहित्य के अनुसार द्रौपदी, सीता, हनुमान आदि का जन्म भी कोख से नहीं हुआ बताया जाता है।
किवदन्तियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्री आईजी का जन्म कोख से नहीं हुआ है। पौराणिक साहित्य के अनुसार द्रौपदी, सीता, हनुमान आदि का जन्म भी कोख से नहीं हुआ बताया जाता है। अतः यद्यपि वैज्ञानिकता के आधार पर ऐसा होना नामुमकिन है परन्तु कई बार प्रकृति की अलौकिकता में ऐसा होना संभव भी हो सकता है। प्राणियों में क्लोन की प्रक्रिया सफल होने योग्य नहीं है परन्तु विज्ञान की प्रकृति के चमत्कार की पराकाष्ठा तो है ही। कबीर तथा दादू जो कि भक्ति साहितय तथा आध्यात्मिकता के अवतार थे, भी फूलों में मिले थे।
अलौकिकता के रंग में रंगे श्री आई जी बचपन से ही जीजी नाम से विख्यात होते गए। जीजी का सामान्य अर्थ बहिन है जिसे कोई भी व्यक्ति आदर तथा वात्सल्य से पुकार सकता था। जीजी को दैहिक ओज अत्यन्त आकर्षक तथा सुन्दर था। संयमित एवं प्रसन्नचित् जीवन से देह लालित्य तो बढता है ही साथ ही मानसिक संतुष्टि तथा प्रसन्नता के कारण अलौकिकता में चार चांद लगते है। ऐसा अनुपम आभास जीजी में सामान्य जन को सहज ही दिखता था, अतः वे इस स्थिति में जीजी को मां जगदम्बा का साक्षात् रुप समझकर हद्धय से नमस्कार करते थे।
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