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राजस्थानी समुदाय महिलायों ने माँ शीतला को लगाया शीतल पकवानों का भोग

राजस्थानी समुदाय महिलायों ने माँ शीतला को लगाया शीतल पकवानों का भोग

परिवार की सुख-शांति और स्वस्थ जीवन की कामना को लेकर जगह-जगह प्रवासी राजस्थानी महिलाओं ने गुरुवार को प्रातः मन्दिर परिसरों में शीतला माता की पूजा-अर्चना की। शहर के अनेक हिस्सों में प्रवासरत राजस्थानी परिवारों की महिलाएं सज-धज कर पूजा की थाली के साथ मंदिरों में पहुंची। बुधवार शाम को बनाए व्यंजनों का शीतला माता को भोग लगाया तथा विशेष पूजा-अर्चना की। गुरूवार को घरों में चूल्हे नहीं जलाए गए। घर में सभी ने बुधवार को बनाए गए व्यंजन खाकर आनंद लिया।

भेटत पूरा गाँव में प्रवासी राजस्थानी महिलाओं ने बुधवार सुबह गाँव के स्थित बिसलुमारम्मा मंदिर के परिसर में रंगपंचमी से अष्टमी के दिन मनाया जाने वाला लोक पूर्व शीतला रंगपंचमी को श्रद्धा एवं भक्तिभाव के साथ मनाई गई। राजस्थान के विभिन्न समुदाय की महिलाएं राजस्थानी परिवेश में सज-धजकर माँ शीतला के मंदिर पहुंची और पूजा-अर्चना कर शीतल पकवानों का भोग लगाया। हाथ में पूजा की थाली लिए महिलाएं शीतला के भजन गाती हुई मंदिर परिसर पहुंची। यहाँ सबसे पहले उन्होंने पथवारी की पूजा की। इसके बाद माँ शीतला को विभिन्न शीतल पकवान अपर्ण किए।

माँ शीतला को ठंडे पकवानों का ही भोग लगाया जाता हैं, इसलिए महिलाएं पूजन से ठीक एक दिन पहले शाम को माता को भोग लगाने के लिए बसौड़ा में मीठे चावल, कढ़ी, चने की दाल, हलवा, रबड़ी, बिना नमक की पूड़ी, पूए आदि एक दिन पहले ही रात में बनाकर रख लेती हैं. सुबह घर व मंदिर में माता की पूजा-अर्चना कर महिलाएं शीतला माता को बसौड़ा का प्रसाद चढ़ाती हैं. पूजा करने के बाद घर की महिलाएं बसौड़ा का प्रसाद अपने परिवार में बांट कर सभी के साथ मिलजुल कर बासी भोजन ग्रहण करके माता का आशीर्वाद लेती हैं। माता को बासा भोग लगाने के कारण इस पूर्व को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता हैं।

प्रेषक :- सीरवी समाज डॉट कॉम मैसूर के प्रतिनिधि मनोहर सीरवी (राठौड़) संपर्क 996411904