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Captain Shiva Chauhan : पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में महिला अधिकारी की तैनाती
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Captain Shiva Chauhan : पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में महिला अधिकारी की तैनाती

पहली बार, भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में एक महिला अधिकारी Captain Shiva Chauhan को नियुक्त किया है। कप्तान शिवा चौहान, भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के सदस्य हैं, जिन्हें आधिकारिक तौर पर 14वीं कोर और उत्तरी के हिस्से के रूप में जाना जाता है। कमान, ने अपनी तैनाती से पहले चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के सैनिकों पर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, और कैप्टन चौहान सियाचिन में इस मिशन में उनके साथ शामिल होंगे। 15,632 फीट की ऊंचाई पर तैनात देश में पहला मौका है जब भारतीय सेना द्वारा एक महिला अधिकारी को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात किया गया है। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के सदस्य कैप्टन शिवा चौहान वर्तमान में हिमालय के पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित सियाचिन ग्लेशियर के भीतर कुमारा पो...
भव्य रथनुमा आईमाताजी का वडेर – बाली (राजस्थान)
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भव्य रथनुमा आईमाताजी का वडेर – बाली (राजस्थान)

पाट एवं अखंड ज्योति स्थापना कर श्रद्वालुओं के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोले जब धर्म और आस्था की बात आती है तो सीरवी समाज हमेशा अग्रीणी रहा है। यही आस्था एक बार फिर राजस्थान के बाली नगरी में देखने को मिली। नगर में दिनांक 7 फरवरी 2020 को रथनुमा नवनिर्मित श्रीआईमाताजी के वडेर (मंदिर) की प्राण-प्रतिष्ठा, पाट एवं अखंड ज्योति स्थापना महोत्सव का मांगलिक कार्यक्रम। वास्तव में बाली वडेर प्राण प्रतिष्ठा अपने आप में एक ऐतिहासिक समारोह के रूप में काफी समय तक याद रहने वाला है। रथनुमा आईमाताजी का भव्य मंदिर एवं कार्यक्रम में पधारने वाले हजारों समाज बंधुओं की व्यवस्था करना अधभुत नजारा। धर्मगुरू दीवान माधवसिंह का बधावणा आपको बताते हुए गर्व होता है कि जहा भी नवनिर्मित आईमाताजी को मंदिर बनता है वहा सर्वप्रथम धर्मगुरू के हाथों ही अखण्ड ज्योत की स्थापना होती है। अंखण्ड ज्योति की स्थापना के एक दिन पुर्व समा...
विज्ञान भी मानता है बच्चे के बेहतर विकास के लिए जरूरी है दादा-दादी, नाना-नानी की सीख
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विज्ञान भी मानता है बच्चे के बेहतर विकास के लिए जरूरी है दादा-दादी, नाना-नानी की सीख

हम में से अगर कोई भी अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ बड़े हुए है तो हम भाग्यषाली है, क्या हमारी आने वाली पीढ़ी भी ऐसा कर रही है, आज जिस तरह षहर बड़े और कमरे छोटे पड़ रहें है जो जवाब होगा नहीं । लोग अकेले होते जा रहे है, सब अपनी एक छोटी सी फैमिली में रहते है, जिसके कारण दादा-दादी, नाना-नानी कुछ दिन के लिए मेहमान बनकर आते है और चले जाते है। विज्ञान भी मानता है कि जिन बच्चों को दादा-दादी, नाना-नानी का प्यार मिलता है उनको बस प्यार ही नहीं मिलता, उनकी परवरिष और उनके व्यक्तित्व विकास में भी बहुत सहयोग मिलता है। दादा-दादी के साथ गुजारे हुए पल, हमारी जिन्दगी के सबसे यादगार पल होते है, इनका प्यार और ज्ञान बच्चे के बचपन को सुखद बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। जो बच्चे अपने दादा-दादी के साथ रहते है उनमें अलग तरह की समझ और संवेदनाये होती है। ऐसे बच्चे मिलनसार, खुष और चीजों को बांटकर इस्तेमाल करने वाले ...
समाज में अपराध क्यों बढ़ रहे हैं?
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समाज में अपराध क्यों बढ़ रहे हैं?

नहीं बढ़ रहे हैं : ऐसा नहीं है। सिर्फ लगता ही है कि समाज में हिंसा और अपराध बढ़ रहे हैं।आजकल सरकारी एजेंसियां, पुलिस और प्रशासन अपराधों को रोकने के लिए जितने अधिकचु स्त और गतिशील हैं, उतने पहले कभी नहीं थे। पहले तो अपराध के बारे में पता ही नहीं चल पाता था। आजकल अगर क्राइम होता भी है, तो पुलिस अपराधी को पकड़ कर अपराध खोलभी देती है। अपराध तो पहले भी होते थे। पर जिस तरह से आबादी बढ़ी है, उसकी तुलना मेंदेखा जाए तो अपराध नहीं बढ़ रहे हैं। इसी तरह से कहा जा रहा है कि सड़क दुर्घटनाओं मेंज्यादा लोग मर रहे हैं, पर यातायात पुलिस आपको हर चौराहों पर मौजूद मिलेगी और वाहनगलत चलानेवालों को पकड़ रही है। रात में भी अगर पुलिस को कॉल करते हैं, तो वह तत्कालपहुंचती है। सुरक्षा के प्रबंध व्यापक हैं। इसी कारण अपरा ध नियंत्रण में हैं। पैसे की दौड़ है आज संपूर्ण समाज विलासिता और आराम के साथ जिंदगी जीना चाहताह...
परिवार का महत्व क्यों भूलते जा रहे हैं लोग
विशेष, समाचार

परिवार का महत्व क्यों भूलते जा रहे हैं लोग

रिश्तों की अहमियत  : आज भले ही संयुक्त परिवार की परम्परा खत्म होती जा रही है परंतु यह सच है कि संयुक्त परिवार से ही घर में खुशहाली आती हैं। बच्चे जहां एक-दूसरे के साथ अपने बड़ों से संस्कार सीखते हैं वहीं एक-दूसरे से स्नेह की भावना भी उनमें साथ रहते हुए ही पनपती है । इन सब में मुख्य भूमिका होती है, परिवार की महिलाओं की जो भावी पीढ़ी में विकास के बीज बोती हैं । आज भले ही संयुक्त परिवार खत्म हो गए हों परंतु घर को परिवार बनाने की जिम्मेदारी आज भी महिला की है। एक वही है जो घर के सदस्यों को जोड़ कर परिवार बनाती है ।  बच्चों को करवाएं रिश्तों की पहचान   अंतर्राष्ट्रीय फैमिली डे की शुरूआत भी शायद इसी मकसद से की गई है कि हम लोग जो अपनी जीवनशैली में परिवार का महत्व भूलते जा रहे हैं, उसे फिर से जान सकें तथा एक-दूसरे के साथ मिल कर समय बिता पाएं । यह दिन लोगों में संयुक्त परिवार की भावना को ...
दूसरी शादी करने से पहले इन बातों का ध्यान दें
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दूसरी शादी करने से पहले इन बातों का ध्यान दें

शादी जिंदगी की सबसे खास और जिंदगी को अलग मोड़ देने वाला लम्हा होता है, और हमारी जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव आते रहते है, जिनमे में दूसरी शादी भी जिंदगी में आने वाला एक लम्हा होता है, की लोगो की पहली शादी में अच्छे साथी के न होने के कारण दूसरी शादी का कारण एक अच्छे जीवन साथी की तलाश होता है, तो कई लोग बच्चों की परवरिश को ध्यान में रखकर दूसरी शादी का निर्णय लेते है। इसके साथ कई लोगो के दूसरी शादी का कारण ऐसा भी होता है, की वो लड़की की कमाई को देखकर भी शादी का फैसला करते है। दूसरी शादी करते समय आपको और भी सतर्क रहने की जरुरत होती है, इसीलिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, की आपकी पहली शादी के असफल होने का क्या कारण था, और आपको कभी भी सिर्फ फायदे के लिए शादी का फैसला नहीं लेना चाहिए, शादी करते समय और भी बहुत सी बातें है जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए, जैसे की अपने दिल और दिमाग में इस बात को...
अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस
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अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस

अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 21 फरवरी को हर साल मनाया जाता है। इस दिन का जश्न मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषा और सांस्कृतिक विविधता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है। यह पहली बार 17 नवंबर, 1 999 को यूनेस्को द्वारा घोषित किया गया था। तब से हर साल यह मनाया जाता है बंगाली और उर्दू भाषा के विवाद के कारण दिनांक 21 फरवरी, 1 9 52 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में चार युवा छात्र मारे गए थे। भाषाएं संस्कृति को बनाए रखने और विकसित करने और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण, अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है, जबकि यह बांग्लादेश में सार्वजनिक अवकाश होता है। 1 9 47 में पाकिस्तान के विभाजन के समय, प्रांत बंगाल को दो भागों में विभाजित किया गया: पश्चिमी भाग भारत बन गया और पूर्वी भाग को पूर्वी बंगाल कहा जाता है ज...
आईमाता_सर्कल की स्वीकृति प्रदान की गई
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आईमाता_सर्कल की स्वीकृति प्रदान की गई

पाली विधायक माननीय ज्ञानचंद जी पारख एवं सभापति महोदय महेंद्र जी बोहरा दारा सीरवी समाज पाली को #आईमाता_सर्कल की स्वीकृति प्रदान की गई।माननीय विधायक महोदय का स्वागत करते समाज के पाली सीरवी समाज सेवा समिति के पदाधिकारी एवं युवा मंडल पाली के कार्यकर्ता। [URIS id=385]
माही बीज महोत्सव बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया पाली शहर की झलकियाँ
विशेष, कार्यक्रम

माही बीज महोत्सव बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया पाली शहर की झलकियाँ

सीरवी समाज सेवा समिति की ओर से माही बीज जोश और उत्साह के साथ मनाई गई बीज को लेकर महात्मा गांधी कॉलोनी स्थित आई माता मंदिर से अलसुबह वैदिक मंत्रोचार के साथ विधि विधान से माता जी की विशेष आरती की गई। इसके बाद सैकड़ों महिलाओं एवं युवाओं ने सिर पर कलश धारण कर गाजे बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली जो सिंधी कॉलोनी सत्य नारायण मार्ग सराफा बाजार सोमनाथ मंदिर सूरजपोल नहर रोड होते हुए सीरवी किसान छात्रावास पर पहुंचकर संपन्न हुई। इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीतों का गायन करते हुए और युवा भजन मंडली होने आई माता के जयकारे लगा कर माहौल भक्तिमय बना दिया कई। युवाओं ने करतब दिखा कर लोगों में जोश भर दिया। शोभायात्रा के सत्यनारायण मार्ग पर पहुंचने पर खींवराज होम्बर,रामलाल सोलंकी, धर्मेंद्र सोलंकी,मोहनलाल कानाराम,घीसुलाल राठौर स्वरूपराम, राजाराम सहित समाज बंधुओं द्वारा कई स्थानों पर शोभा यात्रा का भव्य स्...
माघ सुदी बीज का दिन ही सर्वश्रेष्ठ क्यो ?
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माघ सुदी बीज का दिन ही सर्वश्रेष्ठ क्यो ?

माघ सुदी बीज दीवान पद्द विराजे : इस प्रकार जीवण सीरवी के बिलाड़ा के कर्ता – धर्ता बनने के पश्चात्‌ माधव व उसकी पत्नियों द्दारा श्री आईजी की मनोयोग से सेवा करने से उनका जीवन सफल एंव सुखद बन गया । संवत्‌ 1538 में जीवण सीरवी के निधन के पश्चात्‌ माधव में वैराग्य की बाढ़ आ गई । माधव का जीवन भक्तिमय हो गया । अज्ञानी व दु:खी लोगो के कल्याण की उत्कंठ इच्छा माधव के मन मे जाग्रत हुई । माधव अब पूर्ण रूप से संत माधवजी बन गए । माधवजी ने श्री आईजी से मारवाड़ व मेवाड़ राज्य के विभन्न गांवो में साक्षात्‌ पधारकर दु:खी व अज्ञानी लोगों के दुख दर्द को हरने का करबद्द निवेदन किया ।  श्री आईजी की रथ यात्रा माधवजी में जगे इस अलौकिक प्रकाश से श्री आईजी बहुत प्रभावित हुई  । श्री आईजी अब दैहिक रुप से बूढ़े हो गए थे अत: इतना पैदल चलना संभव नहीं था अत: श्री आईजी की  आज्ञानुसार माधवजी ने समयानुसार एक सुन्दर , आकर्षक व  मज...